Bhakti Shayari | Gandi Shayari | Ghazal Shayari | Mohabbat Ki Shayari | Shero Shayari |
अब और मंजिल पाने की हसरत नहीं रही,
किसी की याद में मर जाने की फितरत नहीं रही,
आप जैसा दोस्त जब से मिला है,
किसी और को दोस्त बनाने की जरुरत नहीं रही||
एक अलग पहचान बनाने की आदत है हमें,
ज़ख्म हो जितने उतना मुस्कुराने की आदत है हमें,
सब कुछ लुटा देते हैं दोस्ती में,
दोस्ती निभाने की आदत है हमें||
तेरे प्यार में हम दीवाने हो गये,
देख खुद से ही बेगाने हो गये,
हमारे लिए मिलना बिछड़ना ज़िन्दगी थी,
लोगों के लिए ये अफसाने हो गये||
कांटो सी चुभती है तन्हाई,
अंगारों सी सुलगती है तन्हाई,
कोई आ कर हम दोनों को ज़रा हँसा दे,
मैं रोती हूँ तो रोने लगती है तन्हाई||
रास्तो की क्या सीमा है ये किसे पता,
मंजिल क्या हो ये किसे पता,
दोस्ती का हर पल बहुत अनमोल होता है,
कब एक दूसरे से जुदा हो जाये ये किसे पता||
मेरी तन्हाई को मेरा शौंक न समझना,
बहुत प्यार से दिया है यह तोहफा किसी ने||
कभी उसको हमारी यादों ने सताया होगा,
चेहरा हमारा आँखों से आँसुओं ने मिटाया होगा,
ग़म ये नहीं कि वो भूल गए होंगे हमको,
ग़म ये है कि बहुत रो रो कर भुलाया होगा||
जुबां से माफ़ करने में वक़्त नहीं लगता,
दिल से माफ़ करने में उम्र बीत जाती है||
हर गली अच्छी लगी हर एक घर अच्छा लगा,
वो जो आया शहर में तो शहर भर अच्छा लगा||
मेरी यादें, मेरा चेहरा, मेरी बातें रुलायेंगी,
हिज़्र के दौर में, गुज़री मुलाकातें रुलायेंगी,
दिन तो चलो तुम काट भी लोगे फसानों में,
जहाँ तन्हा रहोगे तुम, तुम्हें रातें रुलायेंगी||