ख़्याल में आता है जब उनका हुस्न,तो लबों पे अक्सर फ़रियाद आती है,हम भूल जाते हैं उनके सारे सितम,जब उनकी थोड़ी सी मोहब्बत याद आती है||
चेहरा खुली किताब है उनवान जो भी दो,जिस रुख़ से भी पढ़ोगे मुझे जान जाओगे||
रात की चांदनी से मांगता हु सवेरा,फूलों की चमक से मांगता हु रंग गहरा,दौलत शोहरत से ताल्लुख़ नहीं है मेरा,मुझे चाहिए हर सुबह में बस साथ तेरा||
मैं उसका सबसे पसंदीदा खिलौना हूँ दोस्तों,वो रोज़ जोड़ती है मुझे फिर से तोड़ने के लिए||
ये ना पूछो, ये ज़िन्दगी ख़ुशी कब देती है? क्योंकि ये शिकायत उसे भी है, जिसे ये ज़िन्दगी सब देती है||
तूम बहुत खूबसूरत हो आंखों में काजल लगाया करो,मैं तो कहता हूँ आंखों में काजल ही नही,गले मे नीबू मिर्ची और चप्पल भी लटकाया करो||
ग़म-ए-हयात ने आवारा कर दिया वरना,थी आरज़ू कि तेरे दर पे सुबह-ओ-शाम करें||
उनके सिवा किसी और को चाहना मेरे बस में नहीं,ये दिल उसका है, अपना होता तो बात और थी||
मुझे पता है की मेरी खुद्दारी तुम्हे खो देगी,मैं भी क्या करूँ,मुझे मांगने की आदत नहीं||
फ़िर आज वहीं शाम हैं साथ में है मेरी तन्हाई, ज़िन्दगी कुछ थमी हुई सी लगती है कैसी है यह खुदाई, कोशिश है किसी तरह ब्यान करूँ अपने जज़्बातों को, शायद इसीलिए बन जाती है अक़्सर अनजाने में कोई रुबाई||